किसानों से गन्ना नहीं मिलने पर चीनी मिलों पर संकट अगले महीनें हो सकती हैं बंद

जिले की चीनी मिलें इन दिनों गन्ने की भारी किल्लत से जूझ रही हैं। बाढ़ और भारी बारिश के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिसके कारण चीनी मिलों को पर्याप्त मात्रा में गन्ना नहीं मिल पा रहा है। अगर हालात नहीं सुधरे तो जिले की सभी चीनी मिलें फरवरी में ही पेराई सत्र समाप्त कर सकती हैं।

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गन्ने की पेराई में भारी गिरावट

पिछले सीजन में जिले की पांचों चीनी मिलों ने करीब 423 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी, जबकि इस सीजन में अब तक सिर्फ 179 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हो पाई है। गन्ने की कमी के कारण कई बार मिलों को कई घंटों के लिए बंद भी करना पड़ रहा है।

किसान और मिलें दोनों प्रभावित

जिले के करीब दो लाख किसान चीनी मिलों को गन्ना सप्लाई करते हैं। ये किसान नवाबगंज की ओसवाल मिल, बहेड़ी की केसर इंटरप्राइजेज, मीरगंज की धामपुर मिल, सेमीखेड़ा की सहकारी मिल और फरीदपुर की द्वारिकेश मिल से जुड़े हैं। जिला गन्ना अधिकारी यशपाल सिंह के मुताबिक जुलाई में आई बाढ़ और भारी बारिश ने गन्ने की फसल को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। सबसे ज्यादा नुकसान बहेड़ी, फरीदपुर और नवाबगंज के किसानों को हुआ है। ऐसे में मिलों के लिए 200 लाख क्विंटल पेराई का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल लग रहा है।

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चीनी मिलों की तैयारी

गन्ना आपूर्ति की कमी के चलते नवाबगंज और बहेड़ी की चीनी मिलों ने समय से पहले पेराई सत्र समाप्त करने की तैयारी कर ली है। इस बार फरवरी के अंत तक जिले की सभी मिलें बंद हो सकती हैं। गन्ना आपूर्ति की कमी के चलते मिल प्रबंधन को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं, किसानों के भुगतान को लेकर भी मिल प्रबंधकों पर दबाव बढ़ गया है।

समाधान की आवश्यकता

बाढ़ और भारी बारिश जैसी आपदाओं से किसानों और चीनी मिलों को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। इसके अलावा किसानों को वैकल्पिक फसलों के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें उन्नत बीजों के इस्तेमाल की सलाह देना भी जरूरी है।

जिले के हालात से साफ है कि गन्ना आपूर्ति की यह समस्या सिर्फ आर्थिक संकट नहीं है, बल्कि किसानों और चीनी मिलों के स्थायित्व के लिए बड़ी चुनौती है।

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