हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ने गन्ने की तीन नई किस्मों को विकसित किया है, जो किसानों की मुश्किलें आसान कर सकती हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि इन नई किस्मों से किसानों की ज़िंदगी में बदलाव आ सकता है, क्योंकि इनका उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ही गन्ना उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।
तीन नई किस्में – किसानों के लिए लाभकारी
वैज्ञानिकों का कहना है कि गन्ने की कम पैदावार और लाल सड़न रोग के कारण किसानों का गन्ना बिजाई में रुचि कम हो रही है। पिछले 25 सालों में गन्ने की बिजाई का रकबा आधा रह गया है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए, एचएयू ने तीन नई किस्मों को विकसित किया है, जो न केवल पैदावार बढ़ाएंगी, बल्कि लाल सड़न रोग से भी सुरक्षा प्रदान करेंगी।
इनमें से सबसे पहली किस्म, COH 176, को हरियाणा सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है, और इस पर वैज्ञानिकों का दावा है कि यह प्रति एकड़ 550 से 600 क्विंटल पैदावार देगी। वहीं, COH 179 को उत्तर भारत के लिए केंद्र सरकार को जारी करने का प्रस्ताव भेजा गया है, और COH 188 किस्म भी जल्द ही किसानों के लिए उपलब्ध होगी। इन तीनों किस्मों को विकसित करते समय खास ध्यान दिया गया है कि वे लाल सड़न रोग से लड़ने में सक्षम हों।
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किसानों के लिए आय में बढ़ोतरी
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक, डॉ. राजबीर गर्ग के मुताबिक, इन किस्मों से किसानों की आय में प्रति एकड़ 31,000 से 38,000 रुपये तक का इजाफा हो सकता है। अभी गन्ने की सामान्य किस्म पर प्रति एकड़ 350 क्विंटल पैदावार हो रही है, जिससे किसानों को लगभग 65,000 रुपये की आय हो रही है। वहीं, COH 176 और COH 179 किस्में लगाने पर किसानों की आय प्रति एकड़ 1 लाख 4 हजार रुपये तक हो सकती है।
तीनों किस्मों के फायदे:
किस्म | COH 176 | COH 179 | COH 188 |
---|---|---|---|
फसल तैयार होने का समय | 11-12 माह | 11-12 माह | 8-9 माह |
पैदावार | 550-600 क्विंटल/एकड़ | 500-550 क्विंटल/एकड़ | 450-500 क्विंटल/एकड़ |
बिजाई का क्षेत्र | हरियाणा | हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान | हरियाणा |
चीनी प्रतिशतता | 10 किलो/क्विंटल | 10 किलो/क्विंटल | 10.5-11 किलो/क्विंटल |
कुलपति की जानकारी
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि इन तीनों किस्मों को जल्दी ही रिलीज किया जाएगा और इनके बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि ये किस्में गन्ने की पैदावार बढ़ाने में मददगार होंगी और साथ ही लाल सड़न रोग से सुरक्षा प्रदान करेंगी।
इन नई किस्मों का बाजार में आना, निश्चित रूप से किसानों के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण साबित होगा, और इससे उन्हें बेहतर उपज और आय प्राप्त होने की संभावना है।
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